सोशल मीडिया पर डिसइन्फॉर्मेशन की पहचान करना सबसे जरूरी है: संजय पांडेय कार्यशाला में अभविप से जुड़े छात्रों को दी गई जानकारी

पलामू (झारखंड)। सोशल मीडिया पर डिसइन्फॉर्मेशन की पहचान करना सबसे जरूरी है। इसके लिए सभी को जागरूक होना पड़ेगा। उक्त बातें वरिष्ट पत्रकार और मीडिया एडुकेटर संजय पांडेय ने इंडिया मीडिया लिटरेसी नेटवर्क द्वारा आयोजित कार्यशाला में कही। इस कार्यशाला अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद पलामू से जुड़े लोग शामिल थे। फॅक्टशाला के माध्यम से फेक न्यूज़ से संबंधित सभी जरूर जानकारी दी गयी। ट्रेनर संजय पांडेय ने कहा कि हम सभी को फेक न्यूज़, गलत और झूठी सूचना के बारे को जानकारी रखना होगा। यह जानना होगा कि मिसइन्फॉर्मेशन और डिसइन्फॉर्मेशन को समझना होगा। समय समय पर इससे संबंधित होने वाले कार्यशाला में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर जानकारी हासिल करनी होगी। हम सभी यह जानना होगा कि अपने परिवार और समुदाय को गलत सूचनाओं से बचाने के लिए सुझाव देना होगा। यह तभी संभव है जब हम जागरूक होंगे। उन्होंने कहा की सूचना का प्रसार, क्रिटिकल थिंकिंग, वायरल कंटेंट, इंफॉर्मेशन, सूचना और गलत सूचना, किसी भी सूचना या समाचार का किस प्रकार जांच किया जाए, कहां से जांच किया जाए, ब्राउज़र पर फिल्टर बबल और उससे कैसे बचें के बारे में चर्चा की गई। आज सभी लोग सोशल मीडिया पर हैं। प्रतिदिन सभी अपने कोई न कोई कंटेंट को फॉरवर्ड करते हैं। मैसेज को कहीं भिनपॉय करने के पूर्व सर्वप्रथम उसकी जांच करना जरूरी है। मैसेज आने पर उसके स्रोत का पता लगाने की आवश्यकता होती है। सोशल मीडिया के सभी प्लेटफॉर्म पर फेक न्यूज़ का बेधड़क इस्तेमाल किया जा रहा है । ज्यादातर लोग बिना जांचे परखे ही फॉरवर्ड कर देते हैं। जिसका खामियाजा होता है कि लोगों में कई तरह की भ्रांतियां पैदा हो जाती है जो समाज और राष्ट्र के लिए घातक है। इसलिए सभी को आज जागरूक होने की जरूरत है। हमें हर हाल में गलत सूचना से बचना होगा साथ ही अन्य लोगों को भी बचना होगा। संजय पांडेय के कहा कि सही सूचना हमें सही फैसले लेने में सक्षम बनाती है। सही मैसेज, इन्फॉर्मेशन के जरिये हम चुनौतियों को समझते हुए आगे की ओर बढ़ते हैं। मौके पर अभविप के नेता विनीत पांडेय ने कहा कि
सोशल मीडिया सही सूचना पाने का माध्यम है। वहीं गलत सूचना से क्षति भी पहुंच सकती है। कार्यक्रम के अंत में संजय ने कहा कि गलत सूचना का प्रभाव ना केवल व्यक्ति पर बल्कि पूरे सामाजिक ताने-बाने पर पड़ता है। इसलिए जरूरी है कि किसी भी जानकारी को आंख बंद करके कदापि स्वीकार नहीं करें बल्कि उसे विभिन्न टूलों द्वारा सत्यापित कर करें।

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