
बता दें कि शंकरगढ़ विकास में पदस्थ कुछ ग्राम पंचायत ग्राम विकास अधिकारी ऐसे हैं जो की ग्राम प्रधानों के कार्यों को अपने चहेते ठेकेदारों से पक्के कामो सीमेंट बालू सरिया आदि सामग्री दबाव वनाकर दिलवाने की कोशिश करते हैं इस तरह तमाम शिकायतें मिली वही तमाम ग्राम पंचायत और ग्राम विकास अधिकारी कमीशन खोरी में चर्चित हो चुके हैं इस तरह देखा जाए तो विकासखंड शंकरगढ़ के अंतर्गत आम जनता के विकास का पैसा कमीशन खोर कर्मचारी और अधिकारी डकार रहे हैं वता दे कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार गांव के विकास के लिए भले ही सरकारी खजाना खोल रखा है तथा कमीशन खोरी पर लगाम कसने की बात कर रही है। लेकिन शंकरगढ़ विकास खंड कार्यालय में विकास के लिए आया हुआ आधा पैसा कमीशन की भेंट चढ़ जाता है। जिसके चलते गांव का विकास मानक के अनुरूप नहीं हो पता है।
प्रधानों की माने तो जब तक प्रधान विकास कार्यों को लेकर कमीशन नहीं देते तब तक कार्यों की स्वीकृति नहीं मिलती। मजबूरन ग्राम प्रधान अधिकारियों को उनका हिस्सा देने को विवस हो जाता है। शंकरगढ़ विकासखंड कार्यालय में लगभग 42% विकास की धनराशि कमीशन की भेंट चढ़ जाती है। इनमें फीडिंग कराने के नाम पर 500 से 1000 लिया जाता है। इसके अलावा खंड विकास अधिकारी के नाम पर 10%, सचिव का 10%, टीए का 5%, टीसीएस का 2%, स्वीकृति के नाम पर चार प्रतिशत देने के बाद ही ग्राम प्रधानों के द्वारा काम कराया जाता है। कई प्रधानों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यदि हम कमीशन नहीं देंगे तो हमारे गांव के लिए धन की स्वीकृति नहीं की जाएगी। यही नहीं प्रधानों का यह भी कहना है कि काम करने के बाद भी सेक्टर प्रभारियों को जब तक दो प्रतिशत कमीशन नहीं दिया जाएगा तो भुगतान नहीं किया जाता है।प्रधानों ने बताया कि जिसके चलते मानक के अनुरूप कार्य नहीं हो पाता है।प्रधानों का तो यहां तक कहना है कि यदि किसी ने उच्च अधिकारियों से शिकायत कर दी तो जांच के नाम पर भी प्रधानों से अतिरिक्त धन लिया जाता है। यही नही प्रधानो से समय समय पर कार्यक्रमो के नाम पर भी चंदा वसूली किया जाता हो इस तरह से जब कमीशन खोरी है तो योगी सरकार की मनसा कैसे पूरी होगी।और कैसे होगा गांवो का विकास ,यह जांच का विषय है ।लोगों ने जिम्मेदारों से विकासखंड कार्यालय में व्याप्त कमीशन खोरी पर लगाम लगाने की मांग करते हुए वर्षो पुराने कर्मियो को हटाना जरूरी वताया